संतन को सीकरी सों कहा काम
आवत जात पनहैया टूटी बिसरी गयो हरिनाम
जाको मुख देखे दुख लागे ताको करन परि परनाम
दास कुंभन बिनु गिरधन यो सब झूठो धाम
कुंभनदास
रविवार, 8 नवंबर 2009
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