7 दिसम्बर 1945
वे दुष्मन हैं रजब बस्ती के उस बुनकर के
कराबुक फैक्ट्री के फिटर हसन के
गरीब किसान औरत हातिजे के
दिहाड़ी मजदूर सुलेमान के
वे तुम्हारे दुष्मन हैं और मेरे
हरेक उस आदमी के जो सोचता है
और यह देष उन लोगों का घर
मेरी प्यारी वे दुष्मन हैं
इस देष के .........
नाजिम हिकमत
स्रोतः पहल पुस्तिका जनवरी फरवरी 1994 संपादक ज्ञानरंजन चयन और अनुवाद वीरेन डंगवाल
मंगलवार, 10 नवंबर 2009
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